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ग्रहों उपाय किस प्रकार किया जाये

दोस्तों हमारे मित्र राजू जी ने यह प्रश्न किया है कि टीवी पर यूट्यूब पर या इंटरनेट पर ढेरों सारे उपाय बताए जाते हैं परंतु हम कैसे उनमें से सही उपाय निकाले या कैसे पता करेंगे सही उपाय क्या हो सकता है यह जाने के लिए वीडियो को अंत तक देखिएगा

अक्सर सही जानकारी के अभाव में सामान्यजन किसी के भी कहने पर ज्योतिषीय उपाय आजमाने लगते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस तरह के आजमाए गए उपाय कई बार हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं।
ज्योतिष की मानें तो हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है. कई बार उसे पता नहीं चलता कि किस वजह से उसकी जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रह… किस वजह से जीना मुहाल हो रहा है.
थोड़े बहुत ज्योत्षी तो हम खुद भी होते हैं। नवग्रह दोष लक्षण के आधार पर पता चल जाते है। जब आदमी परेशान होता है तो वह खुद ही कुछ ना कुछ रिसर्च जरूर करता है कि आखिर ये दुःख ख़तम क्यों नहीं होता इस परेशानी का कारण क्या है। हम में से ज्यादातर लोग यह तो पता कर लेते हैं कि शनि के कारण दिक्कत हो रही है, मंगल के करना है? आप स्वयं भी इंटरनेट पर जाकर जिस ग्रह की दशा चल रही है उस ग्रह से संबंधित उपाय कर सकते हैं क्योंकि 90% परेशानियां दशा या अंतर्दशा में रहने वाले ग्रहों के कारण होती है।
लेकिन हम यह पता नहीं कर पाते कि हमें उपाय क्या करना है और कैसे
अब उपाय के नियम
सबसे पहले जो ग्रह अशुभ है उसकी धातु या रत्न धारण करना चाहिए तथा जो ग्रह अशुभ है उसका विधि पूर्वक से दान आदि करना चाहिए।
कई बार व्यक्ति महंगे रत्न खरीदने में असमर्थ होता है तब उनके स्थान उपरत्न पहनने की सलाह दी जाती है. प्राचीन ग्रन्थों में 84 प्रकार के उपरत्नों का जिक्र किया गया है. कई उपरत्नों का अपना स्वतंत्र महत्व भी होता है.
व्यक्ति की आवश्यकता अनुसार उपरत्नों को धारण करने का परामर्श दिया जाता है. कई बार स्वास्थ्य संबंधी बातों में रत्नों के बजाय उपरत्न बहुत ही सफलता से काम करते हैं क्योंकि वह केवल एक ही विषय से संबंधित होते हैं. कई बार संबंधित ग्रह की धातुओं को धारण करने से भी लाभ मिलता है. इन धातुओं का दान करने से भी ग्रह को बल मिलता है.

जैसे यदि सूर्य
सूर्य – माणिक्य, लाल रक्तमणि, स्टार रुबी,
चन्द्र – मोती मून स्टोन,
मंगल – मूँगा, रात-रतुवा (कार्नेलियन),
बुध – पन्ना, जेड( हरिताश्म), फिरोजा,
गुरु – पुखराज सुनहला,
शुक्र – हीरा ओपल, जर्कन,
शनि – नीलम, नीली, कटैला(एमेथिस्ट),
राहु – गोमेद अम्बर, तुरसावा,
केतु – लहसुनिया, मार्का, एलेग्जण्ड्राइट.
सूर्य, मंगल बृहस्पति – सोना
चन्द्रमा, शुक्र -चाँदी
बुध सोना व कसकुट (एक मिश्रित धातु जो ताँबे और जस्ते को बराबर भाग से मिलाकर बनाई जाती है) इसे काँसा भी कहा जाता है।
शनि लोहा व सीसा
राहु व केतु – पंच्च धातु

यंत्र से संबंधित उपाय
मान्यता है कि यंत्रों में अपार शक्ति होती है और इनके प्रभाव से जीवन में आने वाली हर मुश्किलों का अंत हो जाता है, इसलिए वैदिक ज्योतिष में यंत्र स्थापना पर अधिक जोर दिया जाता है। घर, ऑफिस और कारखाने में सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए यंत्रों की स्थापना की जाती है। इनमें व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, वास्तु यंत्र, धनवर्षा यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र और काल सर्प दोष निवारण यंत्र समेत कई यंत्र हैं।
इनमे नवग्रह यंत्र भी होते हैं प्रतिकूल गृह यन्त्र घर में स्तापित किया जा और अंगूठी में धारण किया जा सकता है।

लाल किताब में ज्यादातर जल प्रवाह करने वाले उपाय बताए जाते हैं जल प्रवाह करने वाले उपायों के लिए सबसे पहली बात ध्यान रखी है कि इस तीन पानी जिसे हम खड़ा पानी भी बोलते हैं उसमें यह उपाय कभी नहीं करनी चाहिए यह उपाय किसी बहते हुए पानी में जैसे नदी या नहर के पानी में किए जाए तभी इन का फल प्राप्त होता है ज्यादातर लाल किताब के उपाय सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले करनी चाहिए इससे उत्तम लाभ मिलता है।

उपाय करते समय ये सावधानी अवश्य बरतें
किसी भी उपाय और टोटके को करते समय मन में यह विश्वास रखें कि मेरे द्वारा किया यह कार्य ईश्वर की कृपा से मुझे शुभ फल प्रदान करेगा।
उपाय और टोटकों की गोपनीयता को बनाये रखें। इसका मतलब है कि इसके बारे में किसी को न बताएँ।
सभी उपाय रीति-नीति के साथ पूर्णतः सात्विक होकर करना चाहिए।
मन में यह विचार करें कि आस्था और विश्वास के साथ किया जाने वाला यह कार्य सफल होता है।
धन संबंधी किये जाने वाले उपाय शुक्ल पक्ष में करना अधिक लाभकारी होते हैं।
शास्त्रों में चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी को रिक्ता तिथि यानि खाली तिथि माना गया है इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि इस दिन विद्वान ज्योतिषी और पंडित से परामर्श लेने के बाद ही उपाय या टोटके करना चाहिए।

तंत्र-मंत्र की साधना
तंत्र-मंत्र की साधना को ज्योतिष शास्त्र में सबसे कठिन लेकिन सबसे असरदार बताया गया है। जप,तप और मंत्र के बल पर कई मनुष्यों ने असंभव कार्यों को संभव कर दिखाया है। हालांकि आज के आधुनिक युग में तंत्र-मंत्र की साधना करना इतना आसान नहीं है। हालांकि विषम परिस्थितियों में यदि मनुष्य मंत्रों का सहारा ले तो, उसकी हर राह आसान हो जाती है।

सबसे अच्छा उपाय तो ईश्वरीय पूजा होती है इस तरह के उपाय को विधि-विधान द्वारा करना चाहिए परंतु समय का अभाव होने के कारण या ऐसी परिस्थितियां बन जाती है जिसके कारण हम रोज पूजा पाठ नहीं कर पाएं तो तो रत्न धारण करें दान जरूर करें। यदि भाव का स्वामी कमजोर है तो भाव के कारक स्वामी की पूजा या उपासना या उपाय करना चाहिए क्योंकि भाव का जो नीव है वह कारक ग्रह ही है।

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