मांगलिक
नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है मांगलिक नाम सुनते ही तुरंत शादी के बारे में विचार आता है। अगर आप मांगलिक शब्द के बारे में जानते हैं तो इसका मतलब होता है शुभ या अच्छा। परंतु विवाह के मामले में जब मांगलिक आता है तो यह बहुत बुरा हो जाता है। लोग मांगलिक सुनते ही एक क्षण के लिए रुक जाते हैं। क्योंकि ज्योतिषियों ने इसका डर इतना डाल रखा है की लोगो को ये बहुत बड़ा खतरा लगता है। आज हम आपको बताएंगे कि खुद अपनी कुंडली देखकर कैसे पता लगाएं क्या आप मांगलिक है।
जैसा कि हम पहली वीडियो में भी बता चुके हैं कि मंगल ग्रहों का सेनापति होता है। इसलिए जिन लोगों का मंगल स्ट्रांग होता है वह लोग स्वभाव से डोमिनेटिंग और साहसी होते हैं तथा लीडरशिप क्वालिटी वाले होते हैं। लेकिन लोगों का मानना है कि यही क्वालिटी जीवनसाथी के प्रति अच्छी नहीं मानी जाती। आप एक ऑफिस में बॉस है जहां आपको सब को डांट के रखना पड़ता है घर पर आकर अगर अपनी पत्नी को भी डांट कर रखेंगे तो इससे वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आएगी।
कुंडली में मंगल दोष कैसे लगता है? आइए देखते हैं लग्न कुंडली में पहले चौथे सातवें आठवें और बारहवें भाव में यदि मंगल है तो मंगल दोष लगता है। दूसरा मंगल दोष चंद्र कुंडली से भी देख लिया जाता है क्योंकि चंद्रमा मनसो जातक अर्थात चंद्रमा मन का कारक होता है इसीलिए कुछ विद्वान लोग वहां से भी देख लेते हैं। यदि चंद्र लग्न से मतलब चंद्र जहाँ बैठा हो वहां से मंगल पहले चौथे सातवें आठवें या बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति चंद्र मांगलिक होता है। इसका दोष भी 40% तक माना जाता है।
पहले भाव में मंगल होने पर व्यक्ति स्वभाव से क्रोधी होता है महत्वकांक्षी और साहसी होता है जातक को जल्दी गुस्सा आता है उसके शरीर पर खासतौर पर पीठ मुंह यस सर पर चोट का निशान जरूर होगा क्रोधी होने के कारण कहा जाता है कि पत्नी से उसकी अनबन रहेगी।
चौथे भाव में मंगल होने पर कहा जाता है कि जातक कठोर हृदय का होता है तथा संतान प्राप्ति में उसे थोड़ी दिक्कत होती है। ऐसे व्यक्ति अभिमानी होते हैं और ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं। ऐसा जातक अगर पुरुष है तो पिता से और महिला है तो माता से मतभेद रहते हैं इसी कारण चौथे भाव का मंगल परेशान करता है।
सातवें भाव में मंगल होने पर जातक साहसी व परिश्रमी होता है। पर वाणी से कठोर होता है स्वभाव से तीखे वचन बोलने वाला होता है। जातक आवेश में आकर अपना धैर्य खो देता है। वह दूसरों से ईर्ष्या करता है। हालांकि यह लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं परंतु इन लक्षणों के कारण उनके वैवाहिक जीवन में दिक्कतें होती हैं।
आठवें भाव में मंगल होने पर जातक के स्वभाव में कई तरह के व्यसन होते हैं। जातक मानसिक रूप से थोड़ा अस्थिर होता है। तथा वह लंबे समय तक कोई निर्णय नहीं ले पाता जिसके कारण उसे हानि उठानी पड़ती है। जातक में पारिवारिक सुख में कमी आती है क्योंकि वह सदैव धन की चिंता उसे बनी रहती है।
बारहवें भाव में मंगल होने पर व्यक्ति जातक स्वभाव से जिद्दी, झगड़ालू और व्यय करने वाला होता है। वह आसानी से व्यसनों में पड़ जाता है। और पराया धन की लालसा रखता है। इसलिए कहते हैं कि बारहवें भाव में मंगल होने पर व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में तकलीफ आती हैं।
यह सब तभी होता है जब मंगल बुरा प्रभाव देता है हमारे जीवन को कोई भी अकेला ग्रह कंट्रोल नहीं करता बल्कि सभी ग्रह, भाव व राशियां मिलकर हमारे जिंदगी पर प्रभाव डालती है।