Uncategorized

9 ratn ki jadi booti

पायस एस्ट्रोलॉजी में आपका स्वागत है। दोस्त आपने सुना होगा पुराने समय में या आज भी कई ऐसे वैद्य होते हैं जो लोगों की जड़ी बूटियां से असाध्य बीमारियों का इलाज कर देते हैं। भाव प्रकाश नाम की आयुर्वेदिक पुस्तक है जिसमें वैद्य के गुण बताए गए हैं और कहा गया है कि वैद्य को जड़ी बूटियों के साथ ज्योतिष और नक्षत्र का भी ज्ञान होना चाहिए। बहुत सारी ऐसी जड़ी बूटियां होती है जिन्हें निकालने के लिए उपयुक्त मुहूर्त की आवश्यकता होती है अन्यथा उनका रिजल्ट बहुत कम हो जाता है।

जिस तरह ज्योतिष में पंचांग होता है उसी तरह आयुर्वेद के अंदर भी पंचांग होता है। किसी भी पेड़ पौधे के 5 अंगों को पंचांग कहा जाता है जैसे पत्तियां, जड़, तना, फल व फूल। आयुर्वेदाचार्य को किसी भी अंग को कि जब उन्हें आवश्यकता होती थी तो वह उस पौधे से मांग लिया करते थे। उन्हें किसी के हृदय की बीमारी के लिए अर्जुन की छाल की आवश्यकता होती तो वह अर्जुन के पेड़ के पास जाकर पहले उनसे आग्रह करते थे कि मुझे आप की छाल चाहिए। ताकि अमुक व्यक्ति उसका नाम लेकर उसे कहते थे कि वह ठीक हो सके।वैद्य लोगों का मानना था कि ऐसा करने से वह पौधे की भावनाएं आहत नहीं होती और उसकी भावनाओं के पॉजिटिव इफेक्ट से रोगी बहुत जल्दी ठीक हो जाता था। इस तरह से असाध्य रोगों का भी इलाज कर दिया करते थे जिनका इलाज आज भी संभव नहीं है।

पुराने समय में रत्न इतनी आसानी से मिलते नहीं थे उसकी जगह पर उन लोगों ने देखा कि पौधों की जड़ें जिन्हें हम आम भाषा में जड़ी कहते हैं। उन्हें हाथ पर बांधने से वह ग्रहों के बुरे इफेक्ट को समाप्त हो जाते हैं। नेगेटिव ग्रह पॉजिटिव में कन्वर्ट हो जाता था। उन्होंने पाया कि रत्नों से भी ज्यादा यह पौधे की जड़ काम करती हैं। यहाँ हम उन्हीं पौधों के बारे में बताएंगे जिन्हें नवग्रह के पौधे कहा जाता है। यदि आप रत्न खरीद नहीं सकते या रत्न पहन नहीं सकते तो आप पौधों की जड़ को कैसे धारण कर सकते हैं जिससे ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाए।

सूर्य के लिए आपको मदार की जड़ को धारण करना है। उसको धारण करने का तरीका जैसा कि शुरू में आपको बताया कि जहां आपको मदार का वृक्ष मिले वहां जाकर पहले उस मदार को कहना है कि हे मदार वृक्ष मैं आपको अपने घर ले जाना चाहता हूं। मैं आपकी जड़ के छोटे से हिस्से को जड़ी के रूप में धारण करना चाहता हु। आप अपना आशीर्वाद उस जड़ के टुकड़े को प्रदान करें। इसे 1 दिन पहले शनिवार को जाकर कहना है। कल सुबह इस समय आप की जड़ लेने आऊंगा। अगले दिन सुबह जड़ लेकर आनी है उसे नहा धोकर सूर्य का बीज मंत्र या फिर ओम घृणि सूर्याय नमः 108 बार जाप कर इस जड़ी को लाल कपड़े में सील कर अपने सीधे हाथ पर बांध लेना चाहिए। इसका प्रभाव 7 दिन के अंदर आपको दिखने लगेगा।

चंद्र ग्रह के लिए आपको पलाश के पौधे की जड़ को धारण करना है। ध्यान रहे दोस्तों जिनकी भी जड़ लेकर जाएं वह बड़ा पेड़ नहीं होने चाहिए। वह मध्यम पेड़ होना चाहिए कुमार या तरुण पेड़ होना चाहिए। मतलब उसकी ऊंचाई 7 -8 फीट से ज्यादा ना हो। उपरोक्त बताए हुए तरीके से ही आपको पहले दिन जाकर यानी रविवार को जाकर उसे आमंत्रित करना है । अपनी समस्या उसे बतानी है और सोमवार की सुबह सूर्य उगने के बाद जड़ को लेकर आना है। 108 बार चंद्र के मंत्र का जाप करना है और इसे सफेद कपड़े में सिल कर दाहिने हाथ पर बांध लेना है। इसका प्रभाव जल्द ही दिखने लगेगा।

मंगल ग्रह के लिए आपको खैर जिसे हम कथ्था भी कहते हैं पौधे की जड़ को धारण करना है। पहले बताए हुए तरीके के अनुसार 1 दिन पहले जाकर आपको उसे अपने लिए आमंत्रित करना है उस से प्रार्थना करनी है कि वह आपके नेगेटिव मंगल को ठीक कर दे। अपनी समस्या उसे बतानी है और मंगलवार की सुबह सूर्य उगने के बाद जड़ को लेकर आना है। 108 बार मंगल के मंत्र का जाप करना है और इसे सुर्ख कपड़े में सिल कर दाहिने हाथ पर बांध लेना है। इसका प्रभाव जल्द ही दिखने लगेगा। ज्यादातर वैवाहिक संबंधित समस्याएं मंगल के कारण उत्पन्न होती है उसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आप यह प्रयोग कर सकते हैं।

बुध ग्रह के लिए विधारा की जड़ इस्तेमाल की जाती है। इसे अंग्रेजी में एलीफेंट क्रीपर कहते हैं तथा कुछ लोग से अधोगुंडा के नाम से भी जानते हैं। थोड़ा सा दुर्लभ है लेकिन यह मिल जाता है। आप इसे इंटरनेट से आर्डर कर सकते हैं इस स्थिति में मंगलवार वाले दिन इस जड़ से जो जड़ जो आपने इंटरनेट से खरीदी है। कहना है कि कल मैं आपको धारण करने वाला हूं इसलिए अपने शुभ प्रभाव को मुझ पर बनाए रखना। बुधवार के दिन आप इसे बुध का मंत्र 108 बार जप कर हरे रंग के कपड़े में सील कर धारण कर सकते हैं।

इसी तरह गुरु ग्रह के लिए पीपल की जड़ बताई जाती है। कुछ विद्वान कच्ची हल्दी की गांठ बांधने का भी बांधने के लिए भी कहते हैं। परंतु नहाते समय आपका सारा हाथ पीना हो जाता है इसलिए पीपल को ज्यादा अच्छा विकल्प माना गया है। जिस तरह से पहले बताया गया है उसी तरह आपको पीपल के लिए भी करना है। इस बात का ध्यान रखना है कि पीपल 7 से 8 फुट से ज्यादा लंबा ना हो। 1 दिन पहले बुधवार को उसे आमंत्रित करना है। गुरूवार को उसकी जड़ घर पर लेकर आनी है और गुरु ग्रह का 108 बार जाप करना है। पीले रंग के वस्त्र में सिलने के बाद सीधे हाथ पर बांध लेना चाहिए।

शुक्र ग्रह के लिए गूलर की जड़ धारण करने का उपाय बताया गया है साथ ही कुछ विद्वानों का मानना है कि अरंडी नाम के पौधे की जड़ को भी शुक्र के दुष्प्रभाव से बचने के लिए या शुक्र के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि गूलर की जड़ ज्यादा उत्तम प्रभाव देती है। इसको धारण करने का तरीका भी उसी तरह से है। बृहस्पतिवार वाले दिन किसी भी गूलर के तरुण वृक्ष को आमंत्रित करके आइए। उसे शुक्रवार के दिन जाकर निकाल लाए। निकालने के बाद घर लाकर धोकर साफ करने के बाद 108 बार शुक्र का मंत्र जप करें। तथा इसे सफेद रंग के कपड़े में सिल कर दाहिने हाथ पर धारण करें।

शनि ग्रह के लिए ज्यादातर लोग जानते ही हैं कि शमी के वृक्ष की जड़ धारण करनी चाहिए। यह बहुत उत्तम प्रभाव देता है शनि के किसी भी तरह नेगेटिव प्रभाव को दूर करता है और कई बार यह नीलम से भी अच्छा इफेक्ट दे देता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पीपल की जड़ भी शनि के लिए धारण की जा सकती है। परंतु ज्यादातर विद्वान इसे नकार देते हैं उनका मानना है कि शमी ही सबसे उत्तम वृक्ष है शनि महाराज के लिए। इसे धारण करने की विधि उपरोक्त है जैसा पहले बताया जा चुका है। शुक्रवार के दिन शमी को अपने घर के लिए आमंत्रित करना है तथा शनिवार को जाकर जड़ लेकर आनी है। उसके बाद 108 बार शनि के मंत्र का जाप करना है और इसे नीले रंग के कपड़े में सील कर दाहिने हाथ पर बांध लेनी है।

राहु ग्रह की शांति के लिए या राहु के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए आपको घास जिसे हम दूर्वा कहते हैं उसे धारण करनी चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि आप सफेद चंदन की जड़ भी पहन सकते हैं। दोनों को ही आप धारण कर सकते हैं ज्यादातर लोग सफेद चंदन को मान्यता देते हैं। ऐसी स्थिति में अब सफेद चंदन की जड़ आपको आसानी से नहीं मिलेगी। आप या तो इसे इंटरनेट पर मंगा लीजिए या फिर सफेद चंदन को खरीद कर ले आईये। मंगलवार को उसे आमंत्रित कीजिए व बुधवार को 108 बार राहु के मंत्र जपने के बाद सीधे हाथ पर किसी भी भूरे रंग के कपड़े में धारण किया जा सकता है।

केतु ग्रह के लिए एक घास जिसे हम कुशा के नाम से जानते हैं धारण कर सकते हैं। यह भी एक ऊंची घास होती है जैसे लेमन ग्रास होती है। कुछ लोगों का मानना है कि अश्वगंधा की जड़ भी केतु के दुष्प्रभाव से बचाती है। इनको धारण करने का तरीका पुरानी तरह से ही है बुधवार वाले दिन इसे आमंत्रित कीजिए अपनी समस्या उसे बताइये और बृहस्पतिवार के दिन 108 बार केतु का जाप करने के बाद इसे धारण कीजिए। इसे किसी भी सफेद कपड़े या हल्के भूरे रंग के कपड़े में धारण किया जा सकता है।

सामान्यतः जब राहु आपको परेशान करता है तो कि तू भी किसी ना किसी तरह से आपको परेशान कर ही रहा होता है ऐसी स्थिति में आपको दुर्वा और कुशा दोनों को दो रंग के किसी कपड़े में या हल्के भूरे रंग के कपड़े में धारण करना चाहिए इससे कालसर्प दोष का प्रभाव भी कम हो जाता है धन्यवाद दोस्तों आपका मूल्यवान समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *