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Information about Ashwini Nakshatra, अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के बारे में जानकारी,

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नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम अश्वनी नक्षत्र के बारे में चर्चा करेंगे और बताएंगे कि जो लोग अश्वनी नक्षत्र में पैदा हुए हैं। उनका जीवन कैसा रहता है। आप कैसे उनके व्यवहार के द्वारा पहचान सकते हैं कि अश्वनी नक्षत्र में यह व्यक्ति पैदा हुआ है। साथ ही उनके चरणों का भी वर्णन करेंगे कि बच्चा किस चरण में पैदा होने पर कौन से ग्रह के प्रभाव से होता है। जिससे जीवन में आने वाली परेशानियों का आप समाधान निकाल पाएंगे।

अश्विनी नक्षत्र में पैदा लोगों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, Information about Ashwini Nakshatra,

वैदिक ज्योतिष में कल 27 नक्षत्र होते हैं जिनमें से अश्वनी पहले नक्षत्र है इसलिए इसे प्रथम स्थान प्राप्त है। इसे गंड मूल नक्षत्र भी कहते हैं। इसमें तीन तारे होते हैं यह जीरो अंश से लेकर और 13 अंश तक मेष राशि चक्र में आता है। अश्विनी नक्षत्र को लघु शिप्र नक्षत्र भी कहते हैं। काल चक्र के अनुसार अश्वनी नक्षत्र दो अश्व मुख और तीन तारों का समूह है। अश्वनी चंद्र देव की 27 पत्तियों में से पहली पत्नी जो दक्ष प्रजापति की पुत्री है

(Chu (चु), Che (चे), Cho (चो), and La (ला) यानि C और L नाम के लोग इस नक्षत्र से प्रभावित होते हैं।
अश्विनी एक ईश्वर सितारा या देवता है। जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है यह भी माना जाता है कि यह अश्वनी कुमार को संबोधित करता है। अश्वनी कुमार अपने दिव्य रथ पर बैठकर स्वर्ग की सवारी करते हैं जो लोगों के जीवन में सुख और प्रकाश और अच्छे स्वास्थ्य को लाते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है। इसीलिए यह पुरुष नक्षत्र कहा गया है। इसका राशि देवता मंगल है। इसलिए इसमें उत्पन्न जातकों में केतु और मंगल दोनों के स्वभाव होते हैं। साथ ही जिस चरण में हुआ है उसके स्वामी ग्रह का भी प्रभाव होते हैं।

अश्विनी नक्षत्र लक्षण

इस नक्षत्र के लोग सक्रिय, ऊर्जावान और उत्साह से भरे हुए हैं। जीवन में हर कार्य को उत्साह से करते है। ये लोग महत्वकांक्षी होते हैं और हमेशा बड़ा करने की तलाश में रहते हैं। इनकी आदत चीजों को जल्दी से खत्म करने की हैं। ये निर्णय लेने में अच्छे होते है। ये अपने रहस्यमय प्रकृति की वजह से रहस्यमयी चीज़ों जैसे धर्म ज्योतिष तंत्र व गूढ़ विज्ञानं में रुचि रखते हैं।
बस इनका क्रोध पर आपका नियंत्रण नहीं है। लेकिन साहसी और निडरहोते हैं।
दूसरों के फैंसले इन्हे प्रभावित नहीं करते हैं। हालकि इन्हे जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है पर जायदातर निर्णय ये स्वाम ही लेते हैं। ये अपने प्रियजनों के लिए कुछ भी कर सकते हैं और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

अश्विनी नक्षत्र की ताकत

ये एक उत्तम कर्मचारी हैं जो अपने सभी प्रयासों में उत्तम प्रदर्शन करना चाहते हैं। ये मजबूत इरादे वाले, पारिवार साथ समय बिताने वाले, चंचल, साहसी, आध्यात्मिक विचारधारा हैं। इनमे पैसे के प्रति आकर्षक, के साथ अच्छा रवैया, अच्छी तरह से कपड़े पहनना, आदर्शवादी, सहज ज्ञान युक्त, मददगार, बुद्धिमान और आत्मनिर्भर के गुण होते हैं।

अश्विनी नक्षत्र की कमजोरियां
कुछ मामलों में असंतोष, आक्रामक व्यवहार, क्रोध, प्रेरणा की कमी, घमंडी, जिद्दी, अगर चीजें अच्छी तरह से काम नहीं कर रही हैं तो आसानी से निराश हो जाते हैं।

अश्विनी शिक्षा / करियर का चुनाव / पेशा
ऋषि पराशर लघु पाराशरी में कहते हैं की अश्विनी नक्षत्र के जातक यदि राजकीय शासन कार्य में हो यानी सरकारी नौकर हो तो सरकार उनसे बहुत खुश रहती है। यदि वह स्वरोजगार के क्षेत्र में हों तो ऊंचे लोगों से उनके संपर्क आसानी से बन जाते हैं। अपने मान सम्मान का ख्याल रखने वाले होते हैं। निडर व जड़ी बूटी तथा परंपरागत चिकित्सा का ज्ञान रखने वाले लोग होते हैं। इसलिए अश्वनी नक्षत्र वालों से यदि आप अपनी कोई समस्या कहेंगे ना तो वह कोई ना कोई नीम हकीम उसका जरूर बता देंगे ऐसा नहीं है कि वह गलत होगा लेकिन उनको जानकारी जरूर होगी कि गैस बन रही है तो आप हीरा ले ली जरा ले लीजिए। इनको 30 साल की उम्र तक कुछ संघर्षों का सामना करना पड़ता है और उसके बाद, ये 55 वर्ष की आयु तक निरंतर विकास का अनुभव करेंगे। इनके वित्तीय मोर्चे के अनुसार, ये मेहनती होते हैं और हमेशा पैसे के लिए दौड़ते हैं। इनके सबसे उपयुक्त पेशे: ड्रग्स, दवाएं, डॉक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रारम्भि शिक्षक, सर्जन, कार रेसिंग, स्टंट-मेन, इंजीनियरिंग और साहसी खेल होते हैं। बिजनेस में यह लोग अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं साहित्य के क्षेत्र में यह अच्छा काम कर सकते हैं संगीत और विज्ञापन में भी यह हाथ आ सकते हैं।

अश्विनी नक्षत्र पारिवारिक जीवन
सामान्यतः ये अपने परिवार से प्यार करते हैं और अपना अधिकांश परिवार में और अपनी जरूरतों को पूरा करने में बिताते हैं। इनको अपने माता-पिता के जीवन में विशेष रूप से अपने पिता से ज्यादा समर्थन नहीं मिल पता है। इनको करीबी रिश्तेदारों की बजाय अपने मामाओं से मदद मिल सकती है। इन्हे हमेशा अपने दोस्तों से पर्याप्त समर्थन मिलता है। 26 से 30 वर्ष की उम्र के बीच विवाह हो जाता है। लड़की की तुलना में आपके लड़का होने की संभावना बहुत अधिक है।

अश्विनी नक्षत्र स्वास्थ्य

पुरुष में मौसम में बदलाव के कारण वायरल या ठण्ड के संक्रमण या खांसी जैसी कुछ सामान्य बीमारियों को छोड़कर आम तौर पर आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है । वृद्धावस्था या जीवन के बाद के वर्षों में, आपको छाती के दर्द, अपचन और कमज़ोर हड्डियों पर विशेष ध्यान देना होगा। इनको गाडी चलाते समय अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए क्योंकि इससे आपको परेशानी हो सकती है।

महिलाओं में अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेने की संभावना है लेकिन ये चिंता और अवसाद से भी पीड़ित हो सकती हैं। छोटी-मोटी मासिक धर्म से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती हैं। अश्वनी नक्षत्र वाली महिलाओं को भोजन बनाते समय थोड़ा सावधान रहना चाहिए क्योंकि आग से इन्हें खतरा हो सकता है।

अश्विनी नक्षत्र प्रथम चरण

अश्विनी नक्षत्र में चार चरण होते हैं पहले चरण का स्वामी स्वयं मंगल होता है। क्योंकि यह मेष राशि के नवमांश में आता है। तो इसका ग्रह स्वामी मंगल है नक्षत्र स्वामी भी केतु और उपनक्षत्र स्वामी भी मंगल है। इसलिए इनके व्यक्तित्व पर मंगल का प्रभाव ज्यादा और केतु का प्रभाव काम पड़ता है। ये अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में पैदा हुए होते हैं इसलिए इस तरह के जातक साहसी होते हैं। दूसरा क्रियाशील होते हमेशा काम करने लगे रहेंगे खाली रहेंगे तो दिक्कत है “एम्पटी माइंड इस हाउस का सैटर्न” इसलिए इन लोगों को हमेशा काम में लगे रहना चाहिए। यदि अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में जन्म हुआ है तो ऐसे लोगों का कद माध्यम का होता है। हाथ का जाकर थोड़ा छोटा होता है और नाक लंबी होती है। जैसे वातावरण में आप हैं उसके अनुसार थोड़ा सा अलग होता है। प्रथम चरण वालों की आवाज थोड़ी कर्कश जरूर हो सकती है। यह लोग जो भी हो परिणाम नहीं सोचते कार्य कर डालते हैं। पिता से ऐसे लोगों की काम बनती है।

अश्विनी नक्षत्र के दूसरा चरण

अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में उत्पन्न हुए जातक के स्वामी शुक्र देव होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि अश्विनी नक्षत्र स्वामी केतु हैं और राशि स्वामी मंगल हैं तो जातक में तीनों का प्रभाव होगा। इसीलिए इस तरह के लोग ताम्बे के कलर वाले होते हैं मतलब अपने आसपास के लोगों से इनका रंग हल्का होगा। कांप्लेक्शन डार्क होगा मान लो अगर वह कश्मीर में कोई बच्चा पैदा हुआ है, वहां तो सभी गोरे होते हैं पर इसका हल्का सा कलर डार्क होगा। सामान्यतः इन लोगों के कंधे चौड़े होते हैं, दूसरे चरण में पैदा लोगो का स्वभाव थोड़ा सौम्या होगा। लोगों की मदद के लिए ऐसे लोग बहुत जल्दी आगे आ जाते हैं। अच्छे दोस्त तो चारों चरण के लोग ही होते हैं। पर इस चरण में यह खास बात है कि यह लोग अविष्कारक होते हैं और धार्मिक होते हैं व हंसमुख स्वभाव के होते हैं। जबके प्रथम चरण वाले कब हंसमुख होते हैं। इन्हे फैसन सेंस अच्छा होता है।

अश्विनी नक्षत्र का तीसरा चरण

अश्विनी नक्षत्र तीसरे चरण के स्वामी बुद्ध हैं। राशि स्वामी मंगल और नक्षत्र स्वामी केतु हैं। बुध के कारण इनमें थोड़ा विनोदी स्वभाव होता है। यह अच्छा मजाक कर लेते हैं। उनकी आंखें सुंदर होती है, रंग साफ होगा अन्य तीन चरणों के मुकाबले। घुंघराले बाल होना इस चरण वालों के खास लक्षण है। इन लोगों के बाल थोड़े बहुत कर्ली जरूर होते हैं। इस तरह के जातक फाइनेंस में अपनी पकड़ अच्छी रख सकते हैं। इनका हिसाब किताब अच्छा होता है। ये लोग विद्वान होते हैं, नमकीन भजन इनको ज्यादा पसंद होता है मतलब वरिष्ठ भजन इनको अच्छा लगता है। भौतिकवादी होते हैं, और पूजा पाठ करने पर ऐसे लोग मोक्ष की बजाय ईश्वर से धन मांगते हैं।

अश्विनी नक्षत्र का चौथा चरण

अश्विनी के चौथे चरण के स्वामी चंद्रमा होते हैं। केतु नक्षत्र और मंगल राशि स्वामी है। इस चरण के जातक छोटे कद के होते हैं इनके नाखून कड़े होते हैं। यह लोग कफ प्रधान होते हैं इसलिए इनको जुखाम इत्यादि जल्दी हो जाता है। उनके हाथ-पैर के ऊपर कड़े बाल होते हैं। इनके बाल जल्दी सफ़ेद हो जाते हैं। आंखें बड़ी सुंदर सुंदर सी होती है। यह लोग थोड़े ज्यादा सेंटीमेंटल होते हैं, निर्णय लेने देरी करते हैं। भावक होते हैं इसलिए बातों का बुरा भी जल्दी मान जाते हैं। लेकिन आप इन्हें मानेंगे तो यह मान भी जाते हैं। इनमें सहानुभूति बहुत अच्छी होती है, मतलब दूसरों का दर्द देखकर इनका दिल बहुत जल्दी पिघल जाता है। एक और विशेषता है कि यह लोग धार्मिक कार्य करते हैं और भगवान से डरते हैं।

मूल नक्षत्र

जैसे कहां जाता है कि अश्विनी नक्षत्र में पैदा हुए बच्चे मूल नक्षत्र में पैदा होते हैं इसलिए उनके उपाय करना जरूरी होता है।
प्रत्येक चरण के मूल का प्रभाव इस प्रकार है
प्रथम चरण में होने पर पिता को कष्ट होता है
दूसरे चरण में बच्चा पैदा हुआ है तो परिवार में सुख शांति रहती है यानी मूल नक्षत्र का प्रभाव दूसरे चरण में नहीं लगता है।
तीसरे चरण में होगा तो ऐसे व्यक्ति को सरकार से लाभ होता है।
चौथे चरण में होगा तो सम्मान और संपत्ति यह दो चीज मिलेगी।
ध्यान दीजिएगा दोस्तों मूल नक्षत्र का दुष्प्रभाव अश्वनी नक्षत्र में पहले चरण में पैदा हुआ बच्चे पर ही होता है। लेकिन अश्विनी नक्षत्र में अगर कोई बच्चा हो गया तो लोग उसका उपाय कर देते हैं।

How to know the effect of Gandmool Nakshatra | Gand Mool Nakshatra Effects | गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव

भग्योदय/ शुभ रंग/ शुभ रत्न / शुभ अंक /

अश्विनी नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय 31वें वर्ष में होता है यानी 30 वर्ष के बाद ही इनका भाग्य उदय होता है इसकी शुभ राशि दक्षिण दिशा है जहां पर भी इनका जन्म हुआ है वहां से दक्षिण में जाने पर उनके काम इत्यादि अच्छे होंगे बिजनेस वगैरा ठीक रहेगा
इस नक्षत्र के लोगों के लिए 7 और 9 अंक भाग्यशाली होता है।
इन्हें पुखराज, टोपाज, रूबी, तामड़ा, लाल मूंगा व उसके उपरत्न लाभकारी होते हैं।
पीला, मेहरून, ऑरेंज और गुलाबी रंग इनके लिए शुभ होता है।
मंगलवार और गुरुवार का दिन उनके लिए शुभ माना जाता है

अश्विनी नक्षत्र के उपाय

अश्विनी नक्षत्र के उपाय कर सकते हैं और गणपति जी की पूजा करके अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को कम कर सकते हैं। अश्विनी नक्षत्र के उपाय और मंत्र इस प्रकार हैं-
गणेश जी के मंत्र “ओम गं गणपतये नम:” का 108 बार जाप करने से जीवन में परेशानियां कम होती हैं।
जब चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में गोचर करता है, तो उस गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए “ओम ऐं” या “ओम एम्” का कम से कम 27 बार जाप करना चाहिए।

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