Jyotish

Shubh Ashubh Sukra ke lakshan,

Shubh Ashubh Sukra ke lakshan,

लक्षणों के आधार पर कैसे पता लगाएं की शुक्र अच्छा है या बुरा साथ ही शुक्र के उपाय भी जाने।

भारतीय ज्योतिष में दो ग्रह है जिन्हे गुरु कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह को देवगुरु कहा जाता है। जबकी शुक्र ग्रह को असुरों यानि दैत्य, राक्षस और दानवों का गुरु कहा जाता है। नवग्रहों में सभी ग्रहों का अपना महत्व है, शुक्र को मेरे गुरु जी एक तरह इन सबका बाप भी कहते हैं। कैसे हम आगे चर्चा करेंगे।

शुक्राचार्य, भृगु ऋषि तथा दिव्या के पुत्र हैं। कहते हैं, भगवान के वामनावतार में तीन पग भूमि प्राप्त करने के समय, यह राजा बलि की झारी (सुराही) के मुख में जाकर बैठ गए थे और वामनावतार द्वारा दर्भाग्र (कुशा) से सुराही को साफ करने की क्रिया में इनकी एक आँख फूट गई थी। इसीलिए यह “एकाक्ष” भी कहे जाते थे। यह सांकेतिक भाषा है जिसका अर्थ है की शुक्र ग्रह सबको एक सामान देखता है। कर्मो से कोई फर्क नहीं पड़ता शुक्र जिसपर प्रसन्न होंगे उसे विलासिता की सब वस्तुए देंगे। कर्म में न्याय अन्याय का अंतर शनि करते हैं शुक्र नहीं।

आरंभ में इन्होंने अंगिरस ऋषि का शिष्यत्व ग्रहण किया किंतु जब वह अपने पुत्र गुरु के प्रति पक्षपात दिखाने लगे तब इन्होंने शंकर की आराधना कर भगवान शंकर से मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की जिसके प्रयोग से उन्हें युद्ध में मृत्यु होने पर मृत योद्धा को पुनः जीवित करने की शक्ति प्राप्त थी। इसी कारण देवासुर संग्राम में असुर अनेक बार जीते। जिसपर शुक्र की कृपा होती है वह ज्यादा उम्र में भी यंग लगते हैं। आपने देखा होगा अमीर लोग ज्यादा जवान लगते हैं। यह शुक्र के प्रभाव के कारण ही है।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग और आध्यात्मिक उन्नति आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।

ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह स्त्री गृह है चन्द्रमा और शुक्र दोनों ही स्त्री गृह हैं पर जहाँ चंद्र माता है वही शुक्र स्वयं की स्त्री है। यह पुरुषों में वीर्य और स्त्रिओं में रज है। शुक्र नया जीवन है। लोग अक्सर पूछते हैं की आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? वैज्ञानिक कहते हैं किसी भी जीव का पहला लक्ष्य है या तो आप अमर हो जाओ या अपनी कॉपी बनाओ। छान्दोग्य उपनिषद के छठे अध्याय के दूसरे खंड में बताया है कि वेदों के अनुसार सृष्टि निर्माण से पूर्व केवल परमात्मा था। उसे अकेलापन खलने लगा। उसने विचार किया: एकाकी न रमते सो कामयत्। अकेले मन नहीं रमता। अतः इच्छा हुई। एको अहं बहुस्याम:। एक हूँ, अनेक हो जाऊँ। शुक्र सृष्टि का कारक है वह एक से अनेक करने की क्षमता रखता है। इसलिए वह कामेच्छा, प्रेम वासना, रूप सौंदर्य, व आकर्षण का कारक है।
इसे धन संपत्ति, व्यवसाय, सांसारिक सुख जैसे गहने, वाहन, शानदार भोजन, व विलासिता का भी कारक कहा जाता है। इसका कला, संगीत, शो, ग्लैमर, फैशन, गायन, नृत्य व मूर्तिकला पर अधिपति होता है। शुक्र ग्रह प्रेम, विवाह, मैथुन, शरीर में जननांग, व नेत्र पर प्रभाव रखता है।
शुक्र ग्रह रोमान्स यानि श्रृंगार रास है, कामुकता, कलात्मक प्रतिभा, शारीरिक व भौतिक जीवनाची गुणवत्ता यानि जीवन जीने का स्तर है। वह धन, आनंद, प्रजोत्पत्ती यानि fertility, स्त्रैण गुण, ललित कला, है। जो भी भौतिक सुख है वह शुक्र है।

आप जानते होंगे कि व्यक्तिगत संस्कार के लिए उसके जीवन का विभाजन चार आश्रमों में किया गया था। ये चार आश्रम थे- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। पहले 25 वर्ष सूर्य चंद्र बुध व मंगल के प्रभाव में बीतते हैं। माता पिता का प्रेम लाड प्यार, गुरुकुल का अनुशासन तर्क वितर्क, खेल कूद व लड़ाइयों में बीतता है। फिर 25 वे साल में वह गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है यह आश्रम शुक्र के प्रभाव में होता है। इसलिए शुक्र 25 से प्रभावी माना जाता है। शुक्र अपना शुभाशुभ फल 25 से 28 वर्ष की आयु में, बसंत ऋतु में, अपनी दशाओं व गोचर में प्रदान करता है |

कुंडली में कमजोर शुक्र के स्वास्थ्य संबंधी लक्षण

यदि शुक्र नीच या परम नीच अवस्था मे है। यदि शुक्र 6,8,12 में है। यदि शुक्र अस्त है। यदि शुक्र मंगल, शनि, राहु, बृहस्पति के साथ किन स्थितियों में है। कुंडली में शुक्र ग्रह दोष पूर्ण या पापदृष्ट हो तो तो भी कष्ट देता है।

कमजोर शुक्र आँखों को प्रभावित करता है, दाहिनी आंख सूर्य को और बायीं आँख चंद्र को प्रभवित करते हैं। आंख की पुतली और भवों पर शुक्र का अधिकार है। मैंने देखा है की किसी व्यक्ति को कलर ब्लाइंडनेस हो तो उसकी कुंडली में शुक्र कमजोर होता है। शुक्र का स्वाभविक रंग गेहुआ है। जब शुक्र कमजोर होगा रंग पीला पड़ जायेगा जिसके हलाकि पीलिया गुरु के अशुभ होने पर होता है, पर शरीर का पीलापन शुक्र के अशुभ लक्षण में आता है। गोरे लोग कुछ लाल रंग लिए होते हैं कुछ पीला जिनपर लाल रंग का परभव है वो शुक्र के पराभव में है। उनका शुक्र अच्छा है। पीला है तो शुक्र ठीक नहीं।
महिलाओं और पुरुषों में जननांगों से सम्बंधित बीमारी शुक्र के नकारत्मक प्रभाव में आता है। महिलाओं में प्रमेह, गर्भाशय के रोग व संतान उत्पन्न करने में आने वाली कठिनाई भी शुक्र का नकारत्मक प्रभाव है। शुक्र को फेफड़ों पर अधिकार प्राप्त है इसलिए महिलाओं को स्तन सम्बन्धी समस्या इसी से देखि जाती है। जबकि पुरुषो में नपुंसकता, वीर्य अल्पता व गुप्तांग के रोग कमजोर शुक्र की निशानी हैं। जिन लोगों को बार बार पेशाब आता है उन्हें भी शुक्र का नकारत्मक प्रभाव देखा जा सकता है। बार बार पेशाब आना केतु के नकारत्मक होने का लक्षण भी है। लेकिन दोनों में एक अंतर हैं पेशाब के साथ धातु गिरना शुक्र का नकारत्मक प्रभाव है और बहुमूत्रता का रोग केतु का लक्षण है। गुर्दे की बीमारी शुक्र से आती है। शुगर और रक्तचाप भी शुक्र के नकारत्मक प्रभाव के कारण होती हैं। शुक्र पीड़ित व्यक्ति को रक्तचाप एवम मधुप्रमेह की बीमारी दवाई निरंतर लेनी होगी। थाईरोइड की समस्या भी शुक्र के कारण होती है।
किसी भी तरह के त्वचा रोग शुक्र के नकारत्मक प्रभाव के कारण है। अगर बिना किसी वजह के अंगूठे में दर्द हो तो समझे ये शुक्र के नेगटिव इम्पैक्ट की शुरआत है। दमा व कुष्ठ रोग शुक्र जनित ही हैं।

नकारत्मक शुक्र के मानसिक लक्षण

जैसा की कहा जाता है की शुक्र आपका उत्साह है और मंगल आपकी ऊर्जा है। शुक्र काम शक्ति है मंगल उसका स्टेब्लिज़ेर है। मतलब शुक्र अच्छा है लेकिन मंगल ठीक नहीं तो उसकी काम शक्ति अनियंत्रित रहेगी, उसे पर देह के प्रति विशेष इक्छा रहेगी। व्यक्ति व्यभिचारी हो सकता है। यदि मंगल शुभ है तो उच्च का शुक्र होगा तब भी व्यक्ति ब्रह्मचारी होगा। कई संतों की कुंडली में शुक्र उच्च के पाए जाते हैं। क्योकि शुक्र ज्ञान भी देता है यह भी गुरु है। मोटिवेशनल स्पीकर या लेखकों का शुक्र भी अच्छी स्तिथि में होता है। राम कृष्ण परमहंस जी की कुंडली में शुक्र उच्च का था। जैसा हमने पहले चर्चा की शुक्र उत्साह है यदि यह नेगेटिव है तो व्यक्ति में उत्साह नहीं रहेगा वह जायदातर समय उदासीन रहेगा ध्यान दीजिये राहु भ्रम देगा शनि डिप्रेशन यानि अवसाद देगा गुरु उदासी देगा पर शुक्र उदासीनता देता है मतलब व्यक्ति निराश नहीं है। लेकिन किसी अचीवमेंट पर वह खुश नहीं होगा। उत्सव में भाग लेना पसंद नहीं करेगा। पुरुष जातक के मन में स्त्रियों के प्रति सम्मान नहीं रहता।

नकारत्मक शुक्र के सामाजिक लक्षण

पुरुष जातको के जीवन साथी का प्रतिनिधित्व शुक्र करता है। और महिला जातको में पति का प्रतिनिधित्व बृहस्पति करता है। यदि आप विवाहित हैं तो शुक्र कमजोर होने से आपका दांपत्य जीवन सुखी नहीं रहता है। विवाह के बाद भी व्यक्ति के दूसरी महिलाओं से संबंध हो सकते हैं। जिन लोगों का शुक्र नीच का होता है ज्यादातर देखने में आया है वो बहुत जल्दी किसी पर लट्टू हो जाते हैं। शारीरिक संबंधों के प्रति उनका झुकाव ज्यादा होता है। शुक्र की स्थिति खराब होने पर लोगों का चरित्र भी प्रभावित होता है। ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन उथलपुथल भरा होता है। शुक्र ग्रह से पीड़ित लोगों का बुढ़ापा काफी कष्ट में गुजरता है। लोग उसे अपने घर में बैठें पसंद नहीं करते।

नकारात्मक शुक्र के आर्थिक लक्षण

शुक्र पर माँ लक्ष्मी का प्रभाव है। मां लक्ष्मी को धन-वैभव की देवी माना जाता है। वहीं, शुक्र को भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है। जैसे देवी लक्ष्मी अच्छे या बुरे में भेदभाव नहीं करती वह चंचला है जिसका समय होगा उसपर अपनी कृपा बरसाती हैं। वह गरीब ठेले वाले को अमीर बना देती है। वह एक माफिया को लग्जरी कार और प्राइवेट जेट दे सकती हैं। शुक्र भी ऐसे ही भेदभाव नहीं करता। माँ लक्ष्मी के यही गुण शुक्र से मेल खाते हैं, भले ही शुक्रचार्य एक ब्राह्मण थे, फिर भी उन्होंने दैत्य या असुर कुल के गुरु बनने में संकोच नहीं किया।उन्होंने अपना ज्ञान अपने शत्रु बृहस्पति के पुत्र कच के साथ साझा करने में किसी तरह का भेद भाव नहीं किया।

शुक्र नकारत्मक होगा तो माँ लक्ष्मी उससे रूठ जाती हैं। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है और वह भौतिक सुखों के अभाव में जीता है। उसका शनि अच्छा है तो उसे काम मिलेगा जिससे उसे पैसे भी मिलेंगे और वह अपना जीवन यापन कर पायेगा। गुरु भी अच्छा है तो परिवार के साथ संतुष्ट रहेगा। पर शुक्र अच्छा नहीं तो जीवन यापन में भौतिकता नहीं आएगी वैभव नहीं होगा। इसे आप ऐसे समझा सकते हैं व्यक्ति को रोटी मिलेगी पर घी चुपड़ी नहीं, उसके आसपास के लोगों के पास कार होगी पर उसके पास साइकल होगी। सबका घर पक्का पर उसका घर कच्चा होगा। यानि प्राइमरी वस्तुए तो उसे मिल जाएँगी पर उसका जीवन स्तर नहीं उठेगा। उसकी जिंदगी में ऐशोआराम की कमी रहेगी। 25 से 28 तक का समय कष्टमय होगा पैसे की तंगी होगी।

शुभ शुक्र का प्रभाव

शुक्र और चंद्रमा दोनों ही स्त्री शक्ति के कारक हैं। और दोनों ही धन और समृद्धि देने वाले बताए गए हैं। जिन जातकों की राशि में शुक्र ग्रह उच्च स्थान में विराजमान होता हैं उन्हें धन दौलत की कमी नहीं रहती है। शुक्र ग्रह के साथ माता लक्ष्मी का वास होता है जिस कारण व्यक्ति को धन दौलत और वैभव मतलम लग्ज़री की कमी नहीं होती है। जिन जातकों की कुंडली में उच्च का शुक्र हो उन्हें कारोबार करने में सफलता मिलती है। विशेष रूप से जिन जातकों का शुक्र मजबूत और उच्च होता है उन्हें कॉस्मेटिक का कारोबार करने से सफलता मिलती हैं।

जिन जातकों का शुक्र ग्रह केंद्र में विद्यमान होता है उनके धन में वृद्धि होती है। उन्हें अच्छे-अच्छे कपड़े पहनने का शौक होता है, साथ ही ऐसे जातक सोने की चैन, अंगूठी, परफ्यूम आदि लगाने के शौकीन होते हैं। भारत में दुल्हन या नवविवाहित महिला को ससुराल वालों द्वारा “लक्ष्मी” कहा जाता है, उनका मानना है कि उनकी दुल्हन उनके घर में सौभाग्य और समृद्धि लाएगी। मजबूत शुक्र घर में एक अच्छी दिखने वाली, सुंदर, अच्छे स्वभाव वाली, मृदुभाषी, देखभाल करने वाली और बेहद भाग्यशाली दुल्हन लाएगा। हालांकि सकारात्मक शुक्र वाले व्यक्ति शादी से पहले भी अच्छा पैसा कमाते हैं लेकिन शादी के बाद उनकी सफलता बेहद शानदार होगी।
जब किसी व्यक्ति को जीवन में अचानक भौतिक सुख-सुविधाएं मिलने लगती हैं तो यह शुक्र ग्रह के शुभ होने का संकेत है। जब किसी व्यक्ति को किसी काम में अचानक सफलता मिलने लगती है तो यह शुक्र के शुभ होने का संकेत है। जब किसी व्यक्ति को अचानक मान-सम्मान मिलने लगे तो यह कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने का संकेत है। शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं उन्हें जीवन में भौतिक सुख,सुंदरता, वैभव और ऐशोआराम मिलता है। बली शुक्र के कारण व्यक्ति साहित्य एवं कला में रुचि लेता है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है। वहीं प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस में वृद्धि करता है।

ज्योतिष में शुक्र ग्रह कोरियोग्राफी, संगीतकार, पेंटर, फैशन, डिज़ाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, कपड़ा संबंधी व्यवसाय, होटल, रेस्ट्रोरेंट, टूर एंड ट्रेवल, थिएटर, साहित्यकार, फिल्म इंडस्ट्री आदि कार्यक्षेत्र को दर्शाता है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह सौन्दर्य उत्पाद, विद्युत उत्पाद, फैन्सी प्रोडक्ट्स, इत्र, कन्फेक्शनरी, फूल, चीनी, कार, शिप, हवाई जहाज़, पेट्रोल आदि वस्तुओं का कारक है।

शुक्र सबका प्रमुख है।

ज्योतिष में हर ग्रह किसी न किसी वस्तु रिलेशनशिप जीवन के पहलू से जुड़ा होता है। या ऐसा कहिए कि उनके कारक होता है। उदाहरण के लिए सूर्य पिता का कारक है सरकारी नौकरी भी सूर्य से देखी जाती है। चंद्र माता का कारक है धन का कारक है लिक्विड मनी का कारक है यानी कैश इन हैंड से देखी जाती है। चावल दूध पक्षी चंद्र से देखे जाते हैं। मंगल पराक्रम साहस प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधी, पुलिस स्टेशन, फायर बिग्रेड स्टेशन, और भेड़, शेर, भेड़िया आदि का कारक है। पर उन सबके साथ शुक्र के जुड़ जाने पर उसका स्टैंडर बढ़ जाता है।
जैसे फ़ोन संचार यानि कमुनिकशन है, किसी सामान्य कीपैड वाले फ़ोन से बेसिक काम पूरा होता है जो बुध के प्रभाव में है। लेकिन जब यही फ़ोन आई फ़ोन हो तो इसपर शुक्र का प्रभाव है अब यह शुक्र है। फ़ोन जरुरत पर आई फ़ोन विलासिता है वैभव है समाज में आपका रुतबा बताता है। लेकिन इसके चोरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
कोई भी चीज हो जिसमे पैसा, आकर्षण और सुंदरता आ जाये वह शुक्र के प्रभाव में आ जाती है। जैसे आप ब्रांड को ले लीजिये शुक्र की महादशा में लोगों को ब्रांडिड वस्तुएँ पसंद आती है। अगर आपका शुक्र अच्छा है तो आपको ब्रांडेड चीजे ही पसंद आएँगी।
शुक्र की कोई भी चीज होगी उसकी कीमत होगी, उसमे लग्जरी होगी, लोग उसकी और आकर्षित होंगे पर खतरा भी बढ़ जायेगा।
जैसे योग समान्य पार्क में हो रहा है तो सूर्य और किसी कम्यून में हो जहाँ एक लाख फीस है तो सूर्य।
नल का पानी चंद्र है पर बोतल का पानी मिनिरल वाटर शुक्र है, एक बच्चे के लिए स्त्री माँ है पर वही स्त्री कुछ समय पहले दुल्हन बनकर आई उसके पिता के लिए वह शुक्र है।
मंगल हथियार है शुक्र मिसाइल है।
किताब बुध है पर नोट बुक (लैपटॉप ) शुक्र है।
एक सामान्य टीचर गुरु है पर राधे माँ, या गुरमीत सींग इंसान शुक्र है।
शनि शारब है और शुक्र स्कॉच है।
राहु /केतु अफीम है तो शुक्र कोकीन है
इस तरह फ़िल्मी कलाकार लोग शुक्र से प्रभावित है। उनमे आकर्षण बहुत होता है लोगो उन्हें अपना आदर्श मानते है।

शुक्र से बनने वाले शुभ योग

शुक्र, चंद्रमा, और बृहस्पति केंद्र में पहले, चौथे, सातवें, और दसवें घर में हों, तो जातक जीवनभर सुख-सुविधा वाला जीवन जीता है। लग्न में सूर्य, चंद्रमा हो और बारहवें भाव में शुक्र हो, तो वह जातक को धनवान बनाता है।

मालव्य योग वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व

पंच महापुरुष योग में एक होता है मालव्य योग। ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली में शुक्र अपनी ही राशि वृषभ और तुला या फिर उच्च राशि मीन में पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाग में बैठा हो तो मालव्य योग बनते हैं। मालव्य योग वाले व्यक्ति पर हमेशा ही शुक्र का प्रभाव रहता है, इसलिए ऐसे व्यक्ति का भाग्य बलवान होता है। पर्सनैलिटी के मामले में ये धनवान होते हैं, जो अपने सामने वाले को आसानी से आकर्षित कर लेते हैं। इन्हें जीवन में भौतिक सुखी की कोई कमी नहीं होती।

महाराज योग का निर्माण

किसी कुंडली में शुक्र का संबंध चंद्रमा और बुध से हो और इन तीन ग्रहों का लगने से भी संबंध हो तो कुंडली में महाराज योग का निर्माण होता है। महाराज योग बनने से जातक को अपार धन, संपदा, संपत्ति, विलासिता का सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही उनके जीवन में कठिनाई नाममात्र देखने को मिलती है। इतना ही नहीं उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षण पर ईश्वरीय शक्ति का साथ मिलता है।

लक्ष्मी योग का निर्माण

जब नवम भाव के स्वामी बलवान अवस्था में त्रिक भाव यानि पहले पांचवे और नवें भाव में हो और लग्न के स्वामी बलवान हो, यह योग तब निर्मित होते हैं। जब शुक्र और नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में केंद्र में मौजूद होता है, ऐसे में दोहरा लक्ष्मी योग का बनता है। लक्ष्मी योग के कारण व्यक्ति साहसी और कुशल नेतृत्व वाला होता है। इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति उचित सिद्धांत रखते हैं। एक अच्छे नेतृत्व क्षमता से विकसित होने के कारण ही एक अच्छे नेता के तौर पर उभर कर सामने आते हैं।

सभी 8 ग्रहों में शुक्र ग्रह विशेष प्रभाव दीखता है। इसलिए लोग शुक्र को मजबूत करने में लगे रहते हैं। आइये शुक्र के कुछ उपाय भी जान लेते हैं।

कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने और शुभ करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में बहुत से उपाएं बताए गए है। शुक्र का पहला उपाय खीर, श्रीखंड, सफ़ेद मीठी वस्तएं खाने से शुक्र प्रसन्न होते हैं।
धन व संतान के लिए स्त्री को बालों में सोने की क्लिप या सुई लगाकर रखना चाहिए।
शुक्र के मजबूती देने के लिए भोजन बनाकर सबसे पहले भोजन का कुछ हिस्सा निकालकर गाय, कौवे, और कुत्ते को खिलाएं।
शुक्रवार के दिन श्री दुर्गा पूजन करना चाहिए और 5 कन्याओं को खीर व सफेद वस्त्र भेंट करना चाहिए।
चांदी का छल्ला बिना जोड़ वाल शुक्रवार को अंगूठे में धारण करना चाहिए।
स्त्री को प्रसन्न रखे उन आभूषण और कपडे समय समय पर उपहार में दे। विधवा स्त्री को परशान न करें उसका श्राप आपके शुक्र को नकारत्मक बना देगा। महिलाये शुक्र को मजबूत करने के लिए पैरों में चांदी के कड़े पहने।
शुक्र ग्रह के निमित्त सफेद वस्तुएं दूध, दही, बुरा, श्वेत फूल आदि चीजों का दान करने से भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
शुक्र ग्रह के निमित्त हीरा या उसके उपरत्न पहनने से भी काफी लाभ होता है।
शुक्र ग्रह का बीज मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः का 16 हजारबार जाप करना चाहिए।
शुक्र ग्रह दक्षिण पूर्व दिशा में वास करते हैं। दिशा में उगते सूर्य की पेंटिंग लगनी चाहिए। अपने बेडरूम की दक्षिण पूर्व दिशा में करसुला का पौधा लगाना चाहिए। या तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

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