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8 line Lord Ganesha mantra, सिर्फ 8 श्लोकों वाला स्तोत्र हर दुःख का नाश करता है,

8 line Lord Ganesha mantra, सिर्फ 8 श्लोकों वाला स्तोत्र हर दुःख का नाश करता है, गणेश स्तोत्र का क्यों करें जाप, कैसे करें गणेश स्तोत्र का पाठ,

इस लेख में हम बताने जा रहे हैं कि संकटनाशन गणेश स्त्रोत क्यों जपा जाना चाहिए? इसके क्या लाभ हैं? इसका अर्थ क्या होता है तथा इसे कब और कैसे जपा जाये?

सनातन धर्म में भगवान गणेश का सबसे अहम स्थान है। किसी भी शुभ कार्य के पहले सर्वप्रथम उन्हीं की पूजा करने का विधान है। गणेशजी बुदिृध के देवता माने जाते हैं। गणेशजी की आराधना के लिए कई मंत्र, स्त़ोत्र आदि हैं। ऐसे ही मंत्र, स्तोत्र में संकटनाशन गणेश स्तोत्र भी है। जो बहुत ही प्रमाणिक है। कई विद्वाओं का मानना है की ये बहुत जल्द ही काम करता है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ बड़े से बड़ा संकट भी टाल देता है।

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जीवन में जब भी कोई बडी परेशानी सामने आए, कोई संकट सामने दिख रहा हो और उससे बचने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा हो तब गणेशजी की शरण में चले जाना ही श्रेयस्कर होगा। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का विधि विधान से पाठ करें तो यह परेशानी निश्चित रूप से खत्म हो जाएगी।

इस स्तोत्र में भगवान् गणपतिजी के बारह नाम आते है,
जो इस प्रकार है –

  1. वक्रतुण्ड
  2. एकदन्त
  3. कृष्णपिंगाक्ष
  4. गजवक्त्र
  5. लम्बोदर
  6. विकट
  7. विघ्नराजेन्द्र
  8. धूम्रवर्णं
  9. भालचन्द्र
  10. विनायक
  11. गणपति
  12. गजानन

इच्छाओं की पूर्ति करनेवाला और भय दूर करनेवाला गणेशजी का यह संकटनाशन गणेश मन्त्र, बहुत प्रभावी माना जाता है।

नारद उवाच,
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थ सिद्धये॥१॥
नारद जी कहते हैं,
पार्वतीनन्दन श्रीगणेश जी को, सिर झुकाकर प्रणाम करे। और फिर, अपनी आयु, कामना औरअर्थ की सिद्धि के लिये, उन भक्तनिवासका (श्रीगणेशजीका) नित्य स्मरण करें।

प्रथमं वक्रतुंण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम॥॥२॥

पहला वक्रतुण्ड, दूसरा एकदन्त, तीसरा कृष्णपिंगाक्ष अर्थात – काली और भूरी आंखोवाले, चौथा गजवक्त्र अर्थात – हाथीके से मुखवाले

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥३॥

पाँचवां लम्बोदर अर्थात – बड़े पेटवाले, छठा विकट विकट अर्थात – विराट, सातवाँ विघ्नराजेन्द्र अर्थात – विघ्नोका नाश करने वाले राजाधिराज, आठवाँ धूम्रवर्णं

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥४॥

नवाँ भालचन्द्र अर्थात – जिसके ललाटपर चंद्रमा सुशोभित है, दसवाँ विनायक, ग्यारहवाँ गणपति और बारहवाँ गजानन

द्वादशैतानि नामामि त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥५॥

इन बारह नामों का जो व्यक्ति तीनों संध्याओं में अर्थात प्रात:, मध्याह्न और सायंकाल में पाठ करता है, उसे किसी भी तरह के विघ्न का भय नहीं रहता है। इस प्रकार का स्मरण सब प्रकार की सिद्धियाँ देनेवाला है।

विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्-मोक्षार्थी लभते गतिम्॥६॥

इस संकट नाशन गणपतिजी के मंत्र नित्य पाठ से
विद्याभिलाषी को विद्या, धनार्थी यानि धन के अभिलाषी को धन, पुत्रार्थी अर्थात पुत्र, पुत्री की इच्छा को पुत्र, पुत्री तथा मुमुक्षु यानी की मोक्ष की इच्छा वाले को मोक्षगति प्राप्त होती है।

जपेद गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासै: फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:॥७॥

इस गणपति स्तोत्रका जाप करे तो छह महीने में इच्छित फल प्राप्त होता है और एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है, इसमें किसी प्रकार का सन्देह नहीं है।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:॥८॥

जो व्यक्ति इसे लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पण करता है, गणेशजी की कृपासे उसे सब प्राकरकी विद्या प्राप्त हो जाती है।

जैसा की इस स्तोत्र के आखरी श्लोक में बताया गया है कि इस स्तोत्र के पाठ से भक्त को इच्छित फल प्राप्त होता है और पूर्ण सिद्धि तक प्राप्त हो सकती है।

गणेश स्तोत्र का क्यों करें जाप-

संकट मोचन गणपति स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार की अड़चनों से मुक्ति मिलती है और सभी संकटों का नाश होता है। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को उसके कष्टों से मुक्ति मिलती है।

कैसे करें गणेश स्तोत्र का पाठ-

पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
सुखासन या पद्मासन जैसी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
पानी के गिलास का एक बड़ा हिस्सा लें और इसे कुछ विभूति (पवित्र राख) मिलाएं।
श्री गणपति स्तोत्र का जाप करें।
अंत में देवता श्री गणेश की आरती करें।
इसके बाद जल ग्रहण (पवित्र राख में मिश्रित जल) करें।

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किस वक्त करें गणेश स्तोत्र का जाप-

पुण्य कमाने के लिए गणेश स्तोत्र का जप सुबह स्नान करने के बाद ही करना चाहिए। गणपति मूर्ति या चित्र के सामने गणेश स्तोत्र का जाप करना चाहिए।

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